दिल्ली, मलहोत्रा हाऊस
एक लड़की किचन में बर्तन साफ कर रही थी। उसके हाथों और पीठ पर लगी चोटों के निशान से पता चल रहा था कि उसे कितना मारा गया है। वह दर्द से कराह रही थी, फिर भी काम करने में लगी हुई थी।
"ओ महारानी। कितने घंटे लगाओगी, जरा सा बर्तन साफ करने में, जल्दी - जल्दी हाथ चलाओ और भी काम हैं करने को। थोड़ा तेज हाथ चलाओगी तो घिस नहीं जाएंगे, तुम्हारे ये मुलायम हाथ।" एक औरत की तीखी आवाज़ उस लड़की के कानों में पड़ती है।
"अपने डैडी से मेरी शिकायत कर उन्हें मेरे खिलाफ भड़काने की कोशिश की?"
उस औरत ने बहुत जोर से लड़की के बाल पकड़े हुए थे। जिससे उसे तेज दर्द होने लगा।
"आहहहह। मम्मी प्लीज़ छोड़ दीजिए बहुत दर्द हो रहा है। और मैंने डैडी से आपकी कोई शिकायत नहीं की है। जरूर आपको कोई गलतफहमी हुई है!"
"बत्तमीज लड़की अब मुझसे जबान लड़ाओगी!" यह कहते हुए वह और जोर से उसके बालों को पकड़ लेती है।
इतने में ही वहाँ एक दूसरी लड़की आ जाती है। वह उस औरत से लड़की के बाल छुड़वाते हुए बोली, "मम्मी। क्या कर रही हैं आप। दी ने कहा न कि उन्होंने डैडी से आपकी कोई शिकायत नहीं की है। तो फिर आप जबर्दस्ती की कहानियां क्यों बना रही हैं?"
वह औरत बोली, "जीविका। तुम इन सबसे दूर ही रहो तो अच्छा है। ये मेरे और तानिया के बीच का मामला है!"
जीविका ने अपनी मम्मी की बातों को पूरी तरह इग्नोर कर दिया और तानिया की तरफ देखते हुए बोली, "दी
"ज।जी मम्मी। बस हो ही गया!" उस लड़की ने सहमते हुए कहा।
वह औरत लड़की के पास आकर पीछे से उसके बालों को पकड़ते हुए बोली, "सुनने में आया है कि तुमने आप अपने कमरे में जाओ। मैं ये सब कर लूंगी।"
जीविका की बातें सुन कर तानिया अपने कमरे में चली गई। वह औरत जो कि तानिया की सौतेली माँ थी। दाँत पीसते रह गई।
तो यह नज़ारा है, मलहोत्रा हाऊस का। जो लड़की अपनी सौतेली मम्मी का जुल्म सह रही थी। वो तानिया है, जिसकी उम्र 24 साल है। काली गहरी खूबसूरत झील सी आँखें, खूबसूरत चांद सा चेहरा, उस पतले चेहरे पर गुलाब की पंखुड़ियों से पतले गुलाबी होंठ। कमर तक लंबे काले बाल, दिखने के साथ - साथ उसका दिल भी काफी खूबसूरत है। तानिया की मम्मी की डैथ तभी हो गई थी, जब वह बहुत छोटी थी। तानिया के डैडी मिस्टर जीतेश मलहोत्रा ने दूसरी शादी कर ली ताकि तानिया को उसकी माँ की कमी महसूस न हो।
पर मंदिरा से शादी करने के बाद तानिया की तकलीफें कम होने के बजाय बढ़ ही रही थी। तानिया की सौतेली माँ मंदिरा, तानिया को तंग करने का एक मौका नहीं छोड़ती थी। वह उसके साथ जानवरों की तरह व्यवहार करती थी और जीतेश जी के सामने ऐसा दिखाती कि वह तानिया का कितने अच्छे से ख्याल रखती है।
मंदिरा तानिया के बारे में जीतेश जी को तरह - तरह की बातें बताती थी। जो कि उसकी बनाई कहानियों से बढ़ कर कुछ नहीं थी। वह उनके कान भरने का काम करती थी। वह जीतेश जी को बता चुकी थी कि तानिया का बहुत से लड़कों के साथ अफेयर चल रहा है। इसके लिए जीतेश जी ने बात की सच्चाई तक पहुंचे बिना ही तानिया के गालों में जोर दार थप्पड़ जड़ दिए थे। वे पूरी तरह मंदिरा के बस में हो चुके थे।
वहीं तानिया की सौतेली बहन जीविका वैसी बिलकुल नहीं थी। उसका और तानिया का रिश्ता सगी बहनों की तरह था। जीविका को यह समझ ही नहीं आता था कि उसकी मम्मी तानिया के साथ ऐसा बिहेव क्यों करती हैं। जब भी मंदिरा उसे टोर्चर करने की कोशिश करती तो जीविका उसे उस टोर्चर से बचाने का काम करती थी। जीविका को बहुत तकलीफ़ होती थी ये देख कर कि जीतेश जी खुद तानिया के डैड होते हुए भी उसे समझ नहीं पा रहे थे।
तानिया अपने कमरे में आई। एक बार अपनी माँ की फोटो को देखते हुए उसके आँखों में आँसू आ गए।
"माँ, आप मुझे छोड़ कर क्यों चली गईं। आपको पता है डैड और उनकी दूसरी बीवी मिल कर मुझे कितना टोर्चर करते हैं। मेरे साथ जानवरों से भी बत्तर व्यवहार करते हैं।"
फिर अपने आँसूओं को पोंछते हुए बोली, "पर अब बहुत हुआ। मैं ये टोर्चर, ये तकलीफें और नहीं सहूंगी। वक्त आ गया है कि मैं इन सबसे आजाद हो जाऊं।"
यह कहते हुए वह अपनी फ्रैंड दृष्टि को काल करती है।
"दृष्टि मैं आ रही हूं!"
फिर वह चुपके से अग्रवाल हाउस से निकल कर दृष्टि के अपार्टमेंट की तरफ चली जाती है। दृष्टि उसका वेट कर रही होती है। तानिया अंदर आकर अपना लगेज साइड में रख कर सोफे पर बैठ जाती है। वह दृष्टि के लटके हुए चेहरे की तरफ देखने लगती है।
दृष्टि अपनी बुझी हुई आवाज में बोली, "मुझे बिलकुल अच्छा नहीं लग रहा है कि तू मुझसे दूर जा रही है। पर सिच्वेशन ही ऐसी है कि मैं तुझसे जाने से रोक भी नहीं सकती।"
तानिया दृष्टि के गालों पर हाथ रखते हुए बोली, "दृष्टि तू तो ऐसे परेशान हो रही है जैसे मैं हमेशा के लिए तुझसे दूर जा रही हूं। डोन्ट वॉरी यार एक बार सब कुछ सोर्टेड हो जाए तो मैं बहुत जल्द तुझसे मिलूंगी।"
"प्रोमिस!"
"प्रोमिस।!! अच्छा ठीक है, अब मैं निकलती हूं।"
"इतनी जल्दी, नहीं इतनी जल्दी तो मैं तुझे जाने नहीं दूंगी। मैंने तुझे काॅल पर बताया था न कि आज आरूष का बर्थडे है। और उसमें तुझे चलना है। उसने स्पेशली
तेरा नाम लेकर तुझे इनवाइट किया है। अगर तू नहीं गयी तो उसे बहुत बुरा लगेगा।"
"ये आरूष भी न।पर दृष्टि इस बार मैं नहीं चाहती कि कोई भी गड़बड़ हो। अगली बार तुझे पता है न मैंने भागने की कोशिश की थी और पकड़ी गई थी। मुझे कितना पनिश किया गया था। प्लीज़ यार, अब मुझमें उनकी पनिशमेंट झेलने की बिलकुल भी ताकत नहीं बची है।" तानिया के कहे शब्दों में उसका दर्द, उसकी तकलीफें साफ - साफ झलक रही थी।
दृष्टि को यह सुन कर बहुत बुरा लग रहा था। वह तानिया के गालों को अपने हाथों में लेकर बोली, "तानिया तुझे ऐसे देख कर मुझे जीतेश अंकल पर बहुत गुस्सा आता है। तू उनकी बेटी है यार और मिसेस मंदिरा से पहले तू उनकी जिंदगी में आयी है। पर पता नहीं क्यों उन्हें ये बात समझ नहीं आती।"
तानिया बोली, "हम कुछ कर भी तो नहीं सकते न। इसके लिए डैडी को खुद अपनी आँखों का परदा हटा कर समझना पड़ेगा। पर फिलहाल मैं तेरी बात मान कर पार्टी में जा रही हूँ। मुझे सही सलामत वहाँ से लाने की जिम्मेदारी तेरी है।"
दृष्टि बोली, "अच्छा बाबा ठीक है। अब तू रैडी हो जा। फिर हम पार्टी में चलेंगे।"
दोनों पार्टी के लिए रैडी होने लगे। आज उनके एक काॅलेज फ्रैंड आरूष का बर्थडे पार्टी था। जिसमें वे इनवाइटेड थे। दृष्टि एक कंपनी में जॉब करती थी और तानिया अपने लिए जाॅब की तलाश कर रही थी। उसने एक कंपनी में जॉब के लिए इंटरव्यू दिया था और उसे पूरा यकीन था कि वह सिलेक्ट हो जाएगी। इसी उम्मीद में वह अपने घर छोड़ कर उस शहर में शिफ्ट होना चाहती थी।
थोड़ी देर में दोनों पार्टी के लिए निकल गए। ये पार्टी एक बार में होने वाली थी। तानिया का प्लान था कि पार्टी अटैंड करने के बाद वह तुरंत ट्रेन पकड़ कर वहाँ से दूर चली जाएगी।
दूसरी तरफ,
एक विला में,
चार लड़के लिविंग रूम के सोफे पर बैठे हुए थे। उनमें से एक लड़का जिसका नाम कबीर था। जो काॅलेज टाइम में तानिया और दृष्टि का काॅलेज मेट भी था।
कबीर बोला, "तानिया ने मुझे सबके सामने डंप करके ठीक नहीं किया। उसे उसके किए की सजा मिलेगी और आज ही मिलेगी।"
तुषार, "पर कैसे ब्रो, हमें तो ये भी नहीं पता कि तानिया अभी कहाँ होगी?"
कबीर अपनी आँखों में एक शैतानी चमक लेकर बोला, "डोन्ट वॉरी, वो आज आरूष के बर्थडे पार्टी में आने वाली है। वहीं पे हम उससे सारा हिसाब चुकता करेंगे। "
फिर जय की तरफ देख कर एक पैकेट की तरफ इशारा करते हुए बोला, "जय, ये ले लेना। आज रात यह हमारे बहुत काम आने वाला है। "
कबीर के इतना कहते ही सभी एक शैतानी हँसी हँसने लगे।
आयुष बोला, "आखिर कार वो लड़की हमें मिल ही गयी। अब बस आज रात को उससे अपनी सारी तमन्ना पूरी करनी है। "
कबीर बोला, "चाहे कुछ भी हो जाए। आज उसे हम नहीं छोड़ेंगे। उसे भी तो पता चले कबीर खन्ना से पंगा लेने का क्या अंजाम होता है। "
तभी एक वेटर आया और तानिया को साॅफ्ट ड्रिंक देने लगा। तानिया ने उसे मना किया ये कह कर कि वह ड्रिंक नहीं करती। पर वेटर ने ये कह कर उसे वह ड्रिंक दे दी कि ये बस एक साॅफ्ट ड्रिंक है। बेशक यह कबीर ने उस वेटर को पैसे का लालच देकर भिजवाया था। उस ड्रिंक में ड्रग्स मिलाकर वह तानिया को मदहोशी की हालत में करना चाहते थे। ताकि उनका काम आसान हो जाए।
दूसरी तरफ,
उसी बार के एक प्राइवेट एरिया में एक लंबा-चौड़ा और हैंडसम आदमी वाइन पी रहा था। उसे देख कर लग रहा था कि वह बहुत गुस्से में है। यह आदमी और कोई नहीं मुंबई का एक फेमस बिज़नैस मैन आर्य सिंघानिया था। आर्य सिंघानिया, जो कि सिर्फ़ बिज़नैस वर्ल्ड का बेताज़ बादशाह ही नहीं बल्कि अंडर वर्ल्ड का भी एक जाना माना नाम था। उसका नाम ही काफी था, लोगों के दिलों में दहशत फैलाने के लिए।
इतना गुस्सैल और एरोगेंट होने के बावजूद, लड़कियाँ उस पर मरती थीं। ऐसा हैंडसम था कि देखने वाला बस उसके चार्म में खो जाए। गहरी काली आँखें, उस पर घनी-घनी सी पलकें, परफैक्ट जोलाइन और चेहरे के बाकी फिचर भी कमाल के थे। लंबी नाक और पतले गुलाबी होंठ। जिस पर शायद ही किसी ने मुस्कान देखी हो।
दरअसल कल उसकी शादी मुंबई की एक मशहूर एक्ट्रेस और उसकी काॅलेज फ्रेंड अवनी खुराना से होने वाली थी। पर शादी के एक दिन पहले, यानि आज ही के दिन, उसे अवनी के उससे शादी करने के असली मक़सद के बारे में पता चला था। उसे कोई आइडिया नहीं था कि अवनी जैसी भोली-भाली सी शक्ल वाली लड़की ऐसी निकलेगी।
आर्य तो उसकी जान ही लेने वाला था। पर उसके मॉम-डैड आर्य के सामने गिड़गिड़ाकर अवनी की जान की भीख माँगने लगे। इसलिए आर्य ने उसे छोड़ दिया। पर उनके मम्मी-डैडी के सामने शर्त रखी कि उसे पता नहीं चलनी चाहिए कि उसे उसके धोखे के बारे में आर्य को पता चल गया है। क्योंकि वह खुद सबके सामने उसे एक्सपोज़ करना चाहता था।
दूसरी तरफ,
तानिया को अब धीरे-धीरे ड्रग्स का नशा चढ़ने लगा। उसका सिर चकराने लगा। वह ठीक से खड़ी भी नहीं हो पा रही थी। दृष्टि सबके साथ डांस करने में बिज़ी थी। तभी भीड़ का फायदा उठा कर कबीर और उसके दोस्त तानिया को लेकर एक कमरे में आ गए। अब तक तानिया की हालत भी ठीक हो गई। क्योंकि उन्होंने जान बूझ कर ड्रग्स की ज्यादा मात्रा ड्रिंक में नहीं मिलाई थी।
यह कहते हुए वे अपनी कार में बैठ कर बाहर की तरफ निकल गए।
तानिया और दृष्टि भी बार में पहुंच गए। केक कटिंग करके आरूष का बर्थडे सेलिब्रेट करने लगे। फिर सभी अपना-अपना ड्रिंक इंजॉय करने लगे। तानिया तो ड्रिंक नहीं करती थी। इसलिए वह एक तरफ आराम से बैठी हुई थी। दृष्टि भी बस साॅफ्ट ड्रिंक ही ले रही थी, ताकि वो जो भी उसके साथ करें, तानिया को सब पता हो।
जय ने जोर से दरवाजा बंद कर दिया और तानिया को बैड पर पटक दिया। तानिया आँखें मलते हुए सामने देखती है तो कबीर उसे खड़ा मिलता है। उसे देख कर तानिया की भौहें तन जाती है।
वह गुस्से से बोली, "लगता है, मेरे रिजेक्शन से तुम्हारा पेट नहीं भरा है, इसलिए मुंह उठा कर यहाँ चले आए।"
तुषार उसकी तरफ बढ़ने ही वाला होता है कि कबीर हाथ पकड़ कर उसे रोक लेता है।
कबीर शातिर स्माइल करते हुए बोला, "बस तुम्हारे इसी गुरूर को आज मैं तोड़ना चाहता हूँ।" यह कहकर वह तानिया की तरफ बढ़ने लगा। तानिया उसका इंटेंशन समझते हुए वहाँ से भागने की कोशिश करने लगी। पर कबीर के चंगुल से भाग पाना उसके लिए इतना आसान नहीं था।
वह उसे कमर से कस कर पकड़े हुए वापस से बैड पर फेंक देता है और बोलता है, "इतनी आसानी से नहीं। बेबी आज तो तुम्हें हम सबको सटिस्फाय करना है। अपना काम किए बिना तुम यहाँ से नहीं जा सकती।"
इतना सुनकर तानिया की आँखों में आँसू आ गए। वह रोते हुए बोली, "प्लीज़ छोड़ दो मुझे।"
कबीर ने तानिया की रिक्वेस्ट को पूरी तरह इग्नोर करते हुए कहा, "कबीर जय और आयुष, उसे पकड़ने के लिए तैयार हो जाओ।" दोनों ने करीब का इशारा पाकर अपने मजबूत हाथों से तानिया के मुलायम हाथों को कस कर पकड़ लिया।
कबीर ने तुषार की तरफ देखते हुए कहा, "अब यहाँ पर जो भी होगा, तू उसकी एक वीडियो बना लेना।"
तुषार ने अपना मोबाइल निकालकर रिकॉर्डिंग शुरू कर दी। कबीर ने अपने गंदे इंटेंशन के साथ तानिया की ओर बढ़ते हुए कहा, "वन्या, तू अभी भी अपनी आँखों में आँसू लेकर गिड़गिड़ा रही है, हैं ना?"
तानिया अभी भी अपनी आँखों में आँसू लेकर गिड़गिड़ाती हुई उन्हें छोड़ने के लिए बेताब थी। पर उन दरिंदों पर कुछ असर हो रहा ही नहीं था।
कबीर ने उसके टॉप की बाजूओं को फाड़ दिया और अपने कपड़े उतारने लगा। तानिया ने एक बार फिर चींखते हुए कहा, "कोई है। प्लीज़ मुझे बचा लो। प्लीज़!"
क्या तानिया कबीर और उसके दोस्तों के गंदे इरादे से बच पाएगी।??